यूएस : पुलिस क्रूरता, नस्लवाद और ध्रुवीकरण की राजनीति टेलिविज़न और सोशल मीडिया पर आने वाली क्रूर तसवीरें काफ़ी भयानक हैं: कार ब्लास्टिंग, नाइटक्लबों में होने वाली सामूहिक हत्याएं, हत्यारे पुलिसवाले और पुलिसवालों के हत्यारे. लेनिन ने इसी को अंतहीन भयानकता का नाम दिया था......अंतहीन. और ये केवल दूर दराज़ के देशों जैसे इराक़, अफ़गानिस्तान और मेक्सिको में ही नहीं बल्कि इस पृथ्वी के अमीरतम देशों के कुछ बेहद समृद्ध शहरों में भी हो रहा है. यह परिघटना पूंजीवाद का क्रूरतम संकट है, इस व्यवस्था का ऐसा भयानक चेहरा जिसने समूची मानव जाति को अपने चपेट में ले लेने का खतरा पैदा कर दिया है.
२ सितम्बर को आयोजित भारतीय मजदूर वर्ग की आम हड़ताल को पीटीयूडीसी का समर्थन दस ट्रेड यूनियनों एवं उनके समबद्ध संगठनों द्वारा एक साथ मिलकर किया गया हड़ताल का आह्वान मजदूरों के जायज मांगों के लिए है.
खाद्य पदार्थ और समाजवादी क्रांति मीडिया और अकादमिकों के बीच खाद्य पदार्थों के साथ अमेरिकियों के निष्क्रिय रिश्तों की लगातार आलोचना होती है या उसका मजाक बनता है. लेकिन जो बात कभी विश्लेषण का विषय नहीं बनती है, वो है – इस निष्क्रियता की मूल वजह. मार्क्सवाद का मानना है भौतिक परिस्थितियां ही चेतना को जन्म तय देती हैं. हमारा शारीरिक एवं सामजिक वातावरण हमारे पास उपलब्ध सभी विकल्पों को सीमित करके बड़े पैमाने पर हमारी रुचियों को प्रभावित करता है.
भारत: बड़े लोकतंत्र का बड़ा नाटक भारत की पंद्रहवीं लोकसभा का कार्यकाल 31 मई 2014 में पूरा हो रहा है जिसके बाद आम चुनाव का आयोजन किया जाएगा . 13 सितंबर को भारत के गुजरात राज्य के शहर अहमदाबाद में दक्षिणपंथी अतिवादी दल भारतीय जनता पार्टी ( भाजपा ) के संसदीय बोर्ड की बैठक हुई जिसमें गुजरात के तीन बार मुख्यमंत्री बनने वाले नरेंद्र मोदी को 2014 के लोकसभा के लिए होने वाले चुनाव के लिए प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के रूप में चुन लिया गया . मोदी के चुनाव से पहले पार्टी के अंदर उसके खिलाफ गंभीर असंतोष मौजूद था और पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी सहित अन्य लोगों ने मोदी का कड़ा विरोध किया था . आडवाणी ने बैठक का बहिष्कार किया और पार्टी के अध्यक्ष राजनाथ सिंह को शोक व गुस्से से भरा पत्र लिखा . इससे पहले बिहार का मुख्यमंत्री...
लीओन त्रौत्स्की का वसीयतनामा मेरा उच्च रक्तचाप (जो कि बढ़ता जा रहा है) मेरी वास्तविक स्थिति के बारे में आस-पास के लोगों को भ्रम में डाले हुए है. मैं सक्रीय हूँ और काम करने में सक्षम हूँ परन्तु वास्तविक परिणाम निकट हैं. इन पंक्तियों को मेरे मरने के बाद सार्वजनिक किया जाएगा.
महिलाएं और समाज मेहनतकश औरतों के शोषण की इस व्यवस्था को बनाए रखने वाले समाज की नैतिकता व दर्शन इस व्यवस्था द्वारा निर्मित किए गए हैं व इसकी जरूरत हैं। इस व्यवस्था का खात्मा, वर्ग संघर्ष द्वारा किया जा सकता है जिसके लिए मेहनतकश पुरूषों व महिलाओं को एकजुट होकर इसे उखाड़ फेंकने के लिए तैयार होना पड़ेगा।
अरब क्रान्ती की पहली वर्षगांठ शनिवार, 17 दिसंबर अरब क्रानित की पहली वर्षगांठ का दिन था। एक साल पूर्व इसी दिन, एक युवा टयूनीषियार्इ विक्रेता मोहम्मद बोआजिजि ने अपनी तंगहाली, गरीबीतथा क्षेश्म के चलते सिदि बोउजिद नाम शहर में आग लगा ली। उसकी मौत के बाद, सबसे पहले दक्षिणी टयूनिशिया, फिर पूरे देश ओर उसके बाद सीमाओं को लांघ कर सम्ूर्ण अरब जगत में उठ खड़े होने वाले क्रानितकारी अंगार को मानव इतिहास के लिए एक टर्निग प्वाइंट के रूप में चिनिहत किया जाएगा।
दूसरे भारत का अभ्युदय Hindi translation of The other India rises in massive general strike (March 5, 2012)
।पशिचम बंगाल : वाम मोर्चे की शर्मनाक हार से निकलते सबक Hindi translation of West Bengal: Lessons of the Defeat of the Left Front (May 25, 2011)